बुधवार, 15 अप्रैल 2020

हाईकू

एकान्तवासी 


द्वार से दूर
हटके बैठा वह
है मुसाफिर ।

ताड़ रहा है
दुनिया के लोगों के
असाध्य रोग ।

सुबह-सबेरे की
धूप काट खाने को
लालायित है।

रोज होता है
जीव अशांत मन
चंचल तन ।

आज विदाई
बेला शुभ संकेत
लेकर आई ।

हार्न बजाते
ड्राईवर संग ही
उड़ता मन ।

उड़ेल देना
चाहता तन गेह
स्नेह-प्रेम ।

बाल-सुलभ
बूढ़ा बरगद बन
कर यौवन ।।

( हाईकू लिखने की धृष्टता)

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