रविवार, 28 अप्रैल 2013

जीवन की नगरी

 जीवन की नगरी


जीवन की नगरी सुनसान हुई
साँझ-सबेरे भारी मन से दबी
भावनाओं से जुडकर .......!!
अन्तः स्थल में बहने लगी
खूनी धारा ...........!!
सहसा जोर की आवाज
चीत्कार-फुफकार ने
आग में घी मिलाकर
दावानल को आमंत्रित किया |

.........डा.मनजीत सिंह........

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