सोमवार, 1 अप्रैल 2013

जुड़वा पौधा

जुड़वा पौधे कविता

गमले की शोभा में
चार चाँद लगा रहें
हरे-हरे पत्तों सहित
कभी लोरी गा रहें
जुड़वा पौधे...!
माली को देखकर
मंद मन मुस्करा रहें
जीवन की नैया को
पार करते चले जा रहें
जुड़वा पौधे....!
बचपन में भी कभी
धूप की बेला में
प्यास बुझा रहें हैं
जुड़वा पौधे.......!

01.04.2013

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

बीस साल की सेवा और सामाजिक-शैक्षणिक सरोकार : एक विश्लेषण

बीस साल की सेवा और सामाजिक-शैक्षणिक सरोकार : एक विश्लेषण बेहतरीन पल : चिंतन, चुनौतियाँ, लक्ष्य एवं समाधान  (सरकारी सेवा के बीस साल) मनुष्य अ...