जुड़वा पौधे कविता
गमले की शोभा में
चार चाँद लगा रहें
हरे-हरे पत्तों सहित
कभी लोरी गा रहें
जुड़वा पौधे...!
माली को देखकर
मंद मन मुस्करा रहें
जीवन की नैया को
पार करते चले जा रहें
जुड़वा पौधे....!
बचपन में भी कभी
धूप की बेला में
प्यास बुझा रहें हैं
जुड़वा पौधे.......!
01.04.2013
गमले की शोभा में
चार चाँद लगा रहें
हरे-हरे पत्तों सहित
कभी लोरी गा रहें
जुड़वा पौधे...!
माली को देखकर
मंद मन मुस्करा रहें
जीवन की नैया को
पार करते चले जा रहें
जुड़वा पौधे....!
बचपन में भी कभी
धूप की बेला में
प्यास बुझा रहें हैं
जुड़वा पौधे.......!
01.04.2013
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