वास्तविक जीवन का आभासी प्रतिबिम्ब सामाजिक क्रियाकलापों से निर्मित्त होता है |
सामाजिक सरोकारों के निमित्त समर्पण भाव से अपना योगदान देने वालों की कमी विकास के नये मानक कैसे निर्धारित कर सकती |
किताबी जीवन और वास्तविक जीवन में बहुत अंतर है | किताबी जीवन यंत्रवत होता है जबकि वास्तविक जीवन व्यवहारिक होता है |
सामाजिक सरोकारों के निमित्त समर्पण भाव से अपना योगदान देने वालों की कमी विकास के नये मानक कैसे निर्धारित कर सकती |
किताबी जीवन और वास्तविक जीवन में बहुत अंतर है | किताबी जीवन यंत्रवत होता है जबकि वास्तविक जीवन व्यवहारिक होता है |
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