अन्ना संदेश यात्रा का यथार्थ
आज
अन्ना संदेश यात्रा जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सिताबदियारा से शुरू हुआ।
यह यात्रा 5 जून से 20 जून तक चलेगा। यह हमारा सौभाग्य रहा कि इस यात्रा
के पड़ाव का लुत्फ उठाने मैं भी पहुँच गया। जब यह यात्रा वहाँ से चलकर
बलिया-बैरिया राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित
हल्दी मे शाम 7 बजे पहुँचने ही वाला था, ठीक उसी समय मैं भी पहुँच। विशाल
जनसमूह को देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गाय कि हमारी जनता वास्तव मे भ्रष्टचर
से ट्रस्ट हो चुकी है। लेकिन जनता की भावनाओ पर उस समय पाने फिर गया जब
चिल्ल-पों करती चमचमाती इस्कर्पियो के काफिले मे से केवल मनीष सिसौदिया और
संजय सिंह उतरे। बहरहाल तिरंगे झंडे से सुसज्जित इन वाहनो मे बैठे
संदेशवाहकों को देखकर यही लग रहा था कि अन्ना के कबूतर पंख फड़फड़ाने की खूब
कोशिश कर रहें है लेकिन ये जंगली न होकर आभिजात रूपी पंख से ही उड़ रहे
है।
इस सभा मे भारत माता की जय, बंदे मातरम के नारे बागी बलिया की
उस घटना की याद दिला रहे थे जब 1942 मे यहा आजादी का जश्न मनाया गया था। जो
भए हो लेकिन वह समय वास्तव मे ऐसे बागियों का था जब जी जन पर खेलकर बलिया
सतारा और बिहार को स्वतंत्र कराया गया था। लेकिन आज का मंजर देखर यही लग
रहा था कि यहाँ की जनता मे वह जोश मद्धिम पद चुकी है। धीरे- धीरे कार्यक्रम
अपनी गति पकड़ा और मनीष जी मंच की तरफ पहुंचे और इन्हें खूब माला पहनाया
गया इतना ही नही समयाभाव के कारण तुरंत उन्हे बोलने के लिए आमंत्रित किया
गया। मनीष जी ने बड़े ही क्रांतिकारी लहजे में अपनी बात कही, जिसमे 26 जुलाई
से अरविंद केजरीवाल द्वारा किए जा रहे अनशन मे जन-जन की भागेदारी की बात
कही गई। संजय सिंह ने भी कहा जी- भारत के 28 मंत्रियों मे 15 मंत्री
भ्रष्ट्र ।
यह यात्रा देखकर एक बात मेरे मन मे उसी समय आयी कि भारत
की जनता को बहलाकर अपना स्वार्थपूर्ति करने मे बड़े लोग कोई कसर नही छोड़ रहे
है। यदि संदेश यात्रा ही शुरू करनी हैं तो वह सायकिल से भी हो सकती है,
जिसमे एक तरफ लोगों से विधिवत समर्थन हासिल होगा तो दूसरी तरफ तेल में हो
रही बेतहासा वृद्धि के विरोध मे जनजागरूकता भी लाया जा सकता है ।
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