शनिवार, 14 जुलाई 2012

नारी सशक्तिकरण के नाम पर हमारे देश में तमाम शिगूफे छोड़े जाते हैं, लेकिन गोहाटी की घटना ने भारतीयों को पुनः स्व-मूल्यांकन करके समाज में क्रन्तिकारी परिवर्तन की मांग की हैं. यह कितना दुखद है कि आज पांच दिन बीत जाने के बाद भी केवल चार आरोपियों को ही पकड़ा गया है. चलिए कम से कम गोहाटी की अनुगूँज दिल्ली तक पहुँच गयी. गृह मंत्री जी ने भी अफ़सोस जताया, ममता शर्मा जी ने भी एक टीम वहाँ  भेजने की बात कहीं लेकिन तरुण गोगाई महोदय का अभी तक सान्तवना सन्देश नहीं आया. आखिर ऐसे अफसोसों से भारतीय नारी कब तक सुरक्षित रह सकेंगी. मैं तो यही मानता हूँ कि सभी आरोपियों को सरेयाम गोलियों से भून देने का आदेश हमारी सरकार देती तो भी कम था क्योंकि भय से विरत ऐसे तत्व भावनात्मक जुड़ाव से परे जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
इस सन्दर्भ में मुझे लगता है कि पड़ोसी देश हमसे काफी आगे हैं. यदि ऐसा है तो किस आधार पर हम कहते हैं कि हमारी संस्कृति वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक रूप में अपना लोहा मनवा रही हैं. वाह दिन दूर नहीं जब घर से निकलती हुई बेटी पर उसके माता-पिता ही पूर्णतः रोक लगा दे.

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