हैदराबाद का अनुभव और भावी पीढ़ी की चिंताएँ
विगत लगभग एक पखवाड़ा तक हैदराबाद में रहा|बहाना व्यक्तित्व प्रभाव को अधिक पुष्ट करना था. सबसे बड़ी बात यही रही कि काफी लंबे अंतराल के बाद मैंने महानगर की ओर रूख किया था-चूंकि जिस परिवेश में मैं प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा था, उसी के पीछे हैदराबाद विश्वविद्यालय स्थित था, यहाँ तक कि मनोविज्ञान के विद्वानों की कतार में यहीं के प्राध्यापक गण आगे थे. लेकिन एक बात मेरे दिमाग म
विगत लगभग एक पखवाड़ा तक हैदराबाद में रहा|बहाना व्यक्तित्व प्रभाव को अधिक पुष्ट करना था. सबसे बड़ी बात यही रही कि काफी लंबे अंतराल के बाद मैंने महानगर की ओर रूख किया था-चूंकि जिस परिवेश में मैं प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा था, उसी के पीछे हैदराबाद विश्वविद्यालय स्थित था, यहाँ तक कि मनोविज्ञान के विद्वानों की कतार में यहीं के प्राध्यापक गण आगे थे. लेकिन एक बात मेरे दिमाग म
ें खटकती रही कि ये विद्वान अपनी
विद्वता का बखूबी प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन उनकी सीमा सीमित रही क्योंकि
यहाँ हमें कथनी और करनी में फांक नजर आया | ये अध्यापन के निमित्त हमेशा
सलाह देते रहे कि आपको अपने ज्ञान को हमेशा ताजा करते रहना हैं, जबकि कुछेक
बिन्दुयों पर ये ही अपने आपको पूर्ण नहीं पा रहे थे. यह बात उनके पक्ष में
रही कि ये लोग आंग्ल भाषा में अपने(या दूसरे के द्वारा लिखा) विचारों से
हमें घायल करने का भरसक प्रयास करते रहे लेकिन इन भाषाओं से हम कुछ समय के
लिए आहत भले हो जायं पराजित नहीं होते थे. अंत में मैंने यही निष्कर्ष
निकाला कि-आज के कुछेक प्राध्यापक गण नियमित दिनचर्या में नवीन ज्ञान से
पीछे छूटते जा रहें हैं, जिसका खामियाजा आगामी पीढ़ी को ही भुगतना पड़ेगा,
परिणामस्वरूप केवल डिग्रीधारकों की फ़ौज भर खडी हो सकती है. हो सकता है कि
जिस ग्लोबल की बात की जा रही है उसमें भारत की प्रतिभाओं की वही हश्र हो
जाए जो लन्दन ओलम्पिक में भारतीय हॉकी की हुई थी|
कुछ कवितायेँ-
हरियाली
हरे-हरे पत्ते की हरियाली
बड़े सहज भाव से
कुछ कह रही थी-
जीवन को हरा-भरा
करने का सन्देश देकर
बहुत कुछ कह रही थी-
समाज को नवीन विचारों से
नए-नए तरीकों से
समय बड़ा मूल्यवान है-
समय बड़ा मूल्यवान है-
समय की गति को
हवा ही समझ सकता
क्योंकि
जब समय से हवा चले,
तो हम समझ हैं कि
समय बीत रहा है-
लेकिन यहाँ कहना
हरे-हरे पत्ते की हरियाली
बड़े सहज भाव से
कुछ कह रही थी-
जीवन को हरा-भरा
करने का सन्देश देकर
बहुत कुछ कह रही थी-
समाज को नवीन विचारों से
नए-नए तरीकों से
रंग रही थी-
जीवन में हरियाली
हौले-हौले आ रही थी-
चिडियाँ के बच्चे को
पालने(घोसले) में
सुलाते जा रही थी -
आज नहीं तो कल
ग्लोबल का प्रभाव तो आएगा-
दुनियाँ की हरियाली से
भारत रंग जाएगा|
२२ अगस्त २०१२, हैदराबाद में
जीवन में हरियाली
हौले-हौले आ रही थी-
चिडियाँ के बच्चे को
पालने(घोसले) में
सुलाते जा रही थी -
आज नहीं तो कल
ग्लोबल का प्रभाव तो आएगा-
दुनियाँ की हरियाली से
भारत रंग जाएगा|
२२ अगस्त २०१२, हैदराबाद में
समय बड़ा मूल्यवान है-
समय की गति को
हवा ही समझ सकता
क्योंकि
जब समय से हवा चले,
तो हम समझ हैं कि
समय बीत रहा है-
लेकिन यहाँ कहना
कुछ अजीब है भाई-
समय भागता है कहना ही
काव्यात्मक लिहाज है भाई-
समय को समय से करना
बड़ा अच्छा लगता है
सुगम मार्ग में समय से चलना
बड़ा अच्छा लगता है
लक्ष्य की ओर समय से बढ़ना
और लक्ष्य को प्राप्त करना
बड़ा अच्छा लगता है
सुन्दर, सुखमय जीवन बीतना
जीवन में कदम के साथ चलना
आगे बढ़ना औ दूसरों को बढ़ाना
बड़ा अच्छा लगता हैं|
२३ अगस्त २०१२, हैदराबाद में
समय भागता है कहना ही
काव्यात्मक लिहाज है भाई-
समय को समय से करना
बड़ा अच्छा लगता है
सुगम मार्ग में समय से चलना
बड़ा अच्छा लगता है
लक्ष्य की ओर समय से बढ़ना
और लक्ष्य को प्राप्त करना
बड़ा अच्छा लगता है
सुन्दर, सुखमय जीवन बीतना
जीवन में कदम के साथ चलना
आगे बढ़ना औ दूसरों को बढ़ाना
बड़ा अच्छा लगता हैं|
२३ अगस्त २०१२, हैदराबाद में
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