शनिवार, 15 सितंबर 2012

हिन्दी दिवस के अवसर पर

आप सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ
हिन्दी दिवस के अवसर पर हमारे यहाँ प्रातः ८ बजे उद् घाटन समारोह संपन्न हुआ| हिन्दी के साथ ही हम लोग त्रिभाषा सूत्र के माध्यम से एक राजभाषा कार्यान्वयन समिति भी गठित किये हुए हैं, जिसके माध्यम से भाषायी एकी

करण को बल मिलता है, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि अहिन्दी भाषी भी हिन्दी को सहज ही आत्मसात करते हैं| मैं तो यही समझता हूँ कि भारत की सभी भाषाओं के साथ मेलजोल का भाव जैसे-जैसे बढाते जायेंगे वैसे-वैसे हमारी हिन्दी की बिंदी पर लगे दाग धूमिल होते जायेंगे| यह प्रक्रिया भले ही जटिल हो लेकिन इसका परिणाम सुखद होगा|
आज हमारी हिन्दी बाजार के बाजारूपन से भले ही प्रभावित हो गयी है लेकिन यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि इसी के बल पर बाजार गर्व से सर उठाकर यह कहने पर मजबूर होता है कि-यदि हिन्दी न रहे तो हमारा आकर्षण धरा का धरा रह जाएगा| अटल जी की कविता को उधार ले
कर प्रस्तुत करने की धृष्टता करता हूँ तो वह कहते है कि-
गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार
राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी की जयकार
हिन्दी की जयकार, हिंद हिन्दी में बोला,
देख स्वभाषा प्रेम, विश्व अचरज से डोला ,
कह कैदी कविराय, में की माया टूटी
भारत-माता धन्य, स्नेह की सरिता फूटी|
आज भारत माता सचमुच धन्य हो गयी है क्योंकि वह हिन्दी के स्नेह से निर्मित संस्कृति के बल पर मानवतावादी सन्देश देकर हम हिन्दी वासियों को भारतवासी कहलाने का हक दिलायी हैं, जिस पर सम्पूर्ण देशवासियों को गर्व है|
 

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