
लोक साहित्य पर सम्पूर्ण पुस्तक-'उधौ मोंहि ब्रज बिसरत नाहीं
(लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति विमर्श के विविध आयाम )'

रावेंद्र जी ने इसे कुल छ: भागों में विभाजित किया है, जिसका प्राण भाग-२ एवं भाग-३ को माना जा सकता है क्योंकि इसमें क्रमशः बघेली लोक साहित्य एवं संस्कृति में अभियक्त जीवन चेतना एवं विभिन्न बोलियों में अभिव्यक्त लोक साहित्य एवं संस्कृति का मूल्यांकन विषय को समाहित किया गया है | इसमें ३२ साहित्यकारों ने अपनी लेखनी को नये कलेवर के साथ प्रस्तुत किया है | संयोग से एक कोने में मुझे भी स्थान देकर रावेंद्र जी ने "भोजपुरी लोकसाहित्य का सौंदर्य और मानवीय मूल्य" को स्थापित कराने में सहयोग दिया है | सम्पूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व भी लोक को एवं इसमें निर्मित मौखिक साहित्य को लिखित स्वरूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है | यही कारण है कि यह थोड़ी भारी भरकम(कुल४५७ पृष्ठ ) बन गयी है | मैं हृदय से रावेंद्र जी को बधाई देता हूँ |
'उधौ मोंहि ब्रज बिसरत नाहीं
(लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति विमर्श के विविध आयाम )
संपादक-डा. रावेंद्र कुमार साहू
पैसिफिक पब्लिकेशन, दिल्ली
प्रथम संस्करण-२०१३
ISBN 97893-81630-36-5
मूल्य-1200
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