मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

23 मार्च को इलाहाबाद से


23 मार्च को इलाहाबाद से-


वह निहारती रही

मैं अनजान, सुनसान

अपनी तान में हुआ बेजान |

करवट बदलकर देखा-

अचकाचाये-सकपकाकर मायूस 

अभी भी टाक रही थी एकटक 

जब मेरी बारी आयी 

देखते ही सकुचाई-शर्मायी

लाल -गेहुंयें रंग जैसे 

चेहरे पर क्षणिक समय के लिए

एक विस्मित मुस्कान छायी |

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