शनिवार, 13 अप्रैल 2013

चल अकेला चल

चल अकेला चल

सूर्य कई लालिमा
शरीर को मन को
शुद्ध करती हुई
आगाह करती चलती
जीवन में राह दिखाकर
यही आह्वान करती
अब नहीं तो कभी नहीं
चलते चले जा......!
उस शिखर की ओर
जहाँ प्रकृति का मनोरम दृश्य
आकर्षण की मुद्रा में
उन्हीं लक्ष्यों को
साथ लिए है
जिसकी आकांक्षा वह
जन्म से करता आया
युवा काल में पछताया
प्रोढ होकर सुलझाया ||

१३ अप्रैल १३

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