मौसम सुहाना है
आँधी-पानी लेकर
बादलों ने कहर बरपाया
धरती की पीड़ा को और बढ़ाया |
लोग झाँक रहे
अपने घर की खिड़की से
सहम गया मन सहम गयी जिंदगी |
कुछ ने कहा-
भई ! वाह क्या कहना
मौसम सुहाना है यही है गहना |
महलों-राजमहलो में
बयार की आवाजाही नहीं
पवन देव तो बसते है
गाँवों औ गलियों में
असर भी छोड़ते है_
मिटाकर भी जिलाते हैं
स्वर्ग में नहीं फिर भी
नरक में रहने को मजबूर भी करते हैं ||
२०/०४/१३
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें