गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

भारत 
भारत में नौकरशाही की प्रवृत्ति और स्वयं नौकरशाह(जो ईमानदार हैं) भी अब खतरे में है | बिलासपुर की कुछेक घटनाएँ हमारे उपर्युक्त कथन को सिद्ध करती हैं | एस.पी. शर्मा के बाद कल सी.एस.पी. पटेल की आत्महत्या{सपरिवार..बच्चे जिंदगी-मौत के बीच...मामला बस धुत नशेड़ी जज को मारना |} ने तथ्य को मजबूती से पकड़कर विश्लेषण करने और पुनः सोचने पर मजबूर किया है | यह आज के भारत में एक तरफ युवा असंतोष का परिणाम भी हो सकता है तो दूसरी तरफ इसे ईमानदारी की बलि के रूप में भी देखा जा सकता है | यहाँ अवसादग्रस्त युवा की नियति भी है और भारत की नयी धुंधली होती तस्वीर |

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