रविवार, 23 दिसंबर 2012

हैदराबाद में स्थित बिडला मंदिर से जुड़वाँ शहर को देखकर

आबोहवा

शहर की इमारतों ने
लोगों को अपनी आगोश में लेकर
तेज चलने को विवश किया,
कभी इधर कभी उधर जाने को
मजबूर किया|
लोग कह रहें हैं आबोहवा बदल रही हैं|
बिडला मंदिर में संगमरमर पर
उकेरी गयी मूर्तियां
चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है
दूर देश के नौसिखिए कलाकारों में भी
भारतीयता की पहचान करके हमें
दिखा रही है,
वह हुनर जो तरबतर है
उसी परंपरा से जिस पर
हमें गर्व है|
इतना ही नहीं उस कला को भी
चुनौती दे रही है,
जो
कभी विहंगम दृष्टि की
उम्मीद नहीं करती|
जब यहाँ से नजर दौडाते हैं तो
छू लेने को जी चाहता है
उस विश्वग्राम को जो
दूर होकर भी पास बुलाती है
तब हम कैसे कहते हैं-
आबोहवा बदल रही हैं|

१६ दिसंबर २०१२ बिडला मंदिर से

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