रविवार, 28 अप्रैल 2013

बंद कमरे की उमस

नींद के आगोश में आधी हकीकत-आधा फ़साना

बंद कमरे की उमस


हवादार खिड़कियाँ
बेजुबान दरवाजे कुछ
बोलने से भी कतराते
कही ऐसा न हो कि-
मालिक हमें अपनॉ से
जुदा करने पर आमदा हो |
हम कहाँ जायेंगे ? क्या करेंगे
उमस भरी हवाओं से, कैसे लड़ेंगे ||

..............डा.मनजीत सिंह........

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