विद्या-अविद्या
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ब्रम्ह की छाया
अविद्या बनी माया
कलक दर कलंक लेकर
घूमती रही लघु काया|
विद्या-रूपिणी मल्लिका
नहीं बन पायी माया
शंकर ने अस्त्र निकला
उपनिषद की पडी छाया |
अहं ब्रम्हास्मि के सूत्र से
बने अद्वैत की ज्वाला से
रामानुज ने निकाली नयी धारा
आत्मा-परमात्मा दो हुए
राम-कृष्ण की महिमा जगाकर
भक्ति में सराबोर हुए ||
१५ अप्रैल १३
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