नश्वर जीवन
मन के कोने से आवाज निकली
तू क्यों रहता खोये-खोये से
देखकर तुमको अजीब लगता
कभी तो चैन की साँस ले लिया कर ||
नश्वर शरीर बड़े जोश में कहा-
मुझे क्या लेना तुमसे
मेरा तो तर्पण है धरती है
अर्पण करता हूँ आकाश को जल से
सूर्य की गर्मी(अग्नि) से तपकर
धारण करता हूँ जीवन ||
१३/०४/१३
अतिथि के स्वागत के दौरान.....!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें