सोमवार, 13 मई 2013

कविता

कविता 

कविता कल्पना की उड़ान से बनती, सवरती और जवान होती है | यह उडान जितना जमीन से जुड़ा रहता है, कविता उतनी ही प्रभावी होती है लेकिन इससे संपर्क टूटने पर वह कविता इतनी हल्की हो जाती है कि इस पर सम्बंधित कवि के अलावा दूसरा(पाठक) गुमान नहीं कर सकता |
1
सूर्य उदित होने के पूर्व
ब्रह्म मुहूर्त के बाद
गौरैया ने गाया
राग-मल्हार |

2

भयभीत होने पर...?


भयभीत होकर
सहम जाते हैं-
अपने होने का अर्थ
खो देते हैं-
हो न हो एक दिन
दुनियाँ-जहाँ से भी
नाता तोड़ देते हैं-
जुदाई सहते-सहते
जीवन की दहलीज पर
पहुँचने से पहले ही
संसार को भी
छोड़ देते हैं ||

......डा. मनजीत सिंह......
 

3

सामत


शादी-विवाह आयोजन
गाँव में देखते ही बनता है
घूरहू-कतवारू की बाँछे खिल
चेहरे पर नयी उमंगें
सुबह से ही तैरने लगती
कई दिन से पूड़ी उदास होकर
इनके दर्शन हेतु विलख रही
चुप कराने का वक्त आते ही
सामत आ पडी उस पर
कैसे कर जगह बनाएँ
भीड़भाड़ में दुबक-दुबक कर
धीरे से पहुँचा वह पार
ऐसा लगा यही है उसका संसार
खूब मजे से टकटकी लगाए
देखता रहा बड़े खाने को
सोचता रहा कब शुरू करूँ
कहाँ से शुरू करूँ, कैसे शुरू करूँ
इसी समय आ धमका यमराज
यह खाने को प्राण की तरह
ले चला इंद्र दरबार ||

........०८ मई १३

4

नीलगाय


सुन्दर-सहज देह लिए
लोगों को आकर्षित करती
हरे-भरे खेत में अपना भोजन जुटाती
लेकिन जेठ की दुपहरी औ
पके खेत में
निरूपाय-निःसहाय होकर
सिर झुकाए चली जा रही
दौड़ा रहे हैं लोग
थककर वह कभी-कभी
मुड जाती पीछे
डरती-डराती धमका नहीं पाती
भूख से तडपकर मर नहीं पाती ||

...............डा.मनजीत सिंह...........०९/०५/१३

  

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