मंगलवार, 20 अगस्त 2013

आपसी सौहार्द : समाज की जरूरत

आपसी सौहार्द : समाज की जरूरत

(सद्भावना दिवस-२० अगस्त )


आह ! प्रेम की नगरी में, फूट गयी सारी गगरी
लाल रंग के चादर में, लिपटी दुनिया सगरी |

काश प्रेम की नगरी भारत की गगरी कभी नहीं फूटती और उस गगरी में कोई गूलर का फूल रख देता ताकि प्रेम राज कभी खत्म नहीं होता , क्योंकि जब सुन्दर भारत का सपना इतना सुन्दर है, तो यथार्थ की कल्पना भर से जी भर आता है | ऐसी ही कल्पना के निमित्त सद्भावना दिवस पर राजीव गाँधी को नमन | मैं तो यही मानता हूँ कि-धरती पर जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता क्योंकि यदि वह पूर्ण होगा तो ब्रम्ह होगा, जिसकी व्याप्ति अवतार में नहीं हो सकती | इस सन्दर्भ में राजीव गाँधी द्वारा प्रदत्त संचार क्रान्ति और ग्रामीण सुधार का स्मरण लाजमी है | नई शिक्षा नीति 1986 भी एक क्रांतिकारी कदम कहा जा सकता है | उन्ही के शब्दों में कहें तो अंग्रेजी में कहना मजबूरी होगा-India is an old country, but a young nation and like the young everywhere, We are impatient, I am young and I to have dream. I dream of an India, strong, Independent self relliant and in the fore front of the fronts rank of the nation of the world in the service of mankind." कहने का तात्पर्य यही था कि भारत नौजवानों राष्ट्र है..जिसका सपना भी उन्होंने ही दिखाया था |

डॉ. मनजीत सिंह
20/08/2013

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