मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

आखिर क्यों-


आखिर क्यों !


वसंत की लहर
हिमयुग के आगोश में 
तीव्रता खोती जा रही-

आखिर क्यों-

धूल कणों से निर्मित
बादलों की आभा
भूमंडलीय ताप से
मद्धिम होती जा रही-
आखिर क्यों-

आमफहम जनतंत्र
लोक के अभाव में
धूर आधुनिक के आग्रह से
धूमिल होती जा रही-

आखिर क्यों-

माँ बछड़े से बिछुडकर भी
दर्द के एहसास को
आँसुओं की धारा में
छुपाये जा रही -

आखिर क्यों-
जिंदगी की महफ़िल में
लोगों के जीने की ख्वाईश
बदलती जा रही है –

डॉ. मनजीत सिंह

वसंत पंचमी, दिन सोमवार
दिनांक-04फरवरी, 2014

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