आखिर क्यों !
वसंत की लहर
हिमयुग के आगोश में
तीव्रता खोती जा रही-
आखिर क्यों-
धूल कणों से निर्मित
बादलों की आभा
भूमंडलीय ताप से
मद्धिम होती जा रही-
आखिर क्यों-
आमफहम जनतंत्र
लोक के अभाव में
धूर आधुनिक के आग्रह से
धूमिल होती जा रही-
आखिर क्यों-
माँ बछड़े से बिछुडकर भी
दर्द के एहसास को
आँसुओं की धारा में
छुपाये जा रही -
आखिर क्यों-
जिंदगी की महफ़िल में
लोगों के जीने की ख्वाईश
बदलती जा रही है –
डॉ. मनजीत सिंह
वसंत पंचमी, दिन सोमवार
दिनांक-04फरवरी, 2014
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