बुधवार, 5 जून 2019

पर्यावरण 2

5 जून विशेष-पर्यावरण दिवस

आग लगी है जंगल में
दावानल..बडवानल...हावी हैं ...!
जठराग्नि को अपने आगोश में लेकर
आमदा है मिटाने को
यहाँ न कोई बामन
राजपूत, बनिया ..शूद्र
धुँआ देख काँपता हैं देह
नर्तक बन दौड़ते हैं बचाने
भूल जाते हैं जातीय संघर्ष |

प्रकृति की लीला देख
कभी मन बैचैन  होता
जाने-अनजाने तड़प उठता
धरती के भीतर हलुवा(मैग्मा) खाने को
दोड़ता..खींचता...चला जाता
सीता माता की याद दिलाता
हिलती-डोलती धरा के गर्भ में
लपट बनकर बुझ जाता ||

ग्लोबल-ग्लोबल-ग्लोबल
वार्मिंग-वार्मिंग-वार्मिंग
विश्व-भारत-वारत की गरिमा
हिमालय के दिल को टुकडा करते
एक्सप्रेस-वे का सपना दिखाते
भावी गाड़ियों को तीव्र गति से दौडाते
धुल-धूसरित होते पहाड़
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो परसों
परसों नहीं लेकिन बरसों
डूबते थल को बचाने के प्रयास
पोल्डरिंग से भी विफल होने में
देर नहीं लगती ....!!
(हालेंड में समुद्र के किनारे मिट्टी भरकर जमीन तैयार करने को पोल्डरिंग कहा जाता है )

५ जून १३

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