सोमवार, 30 दिसंबर 2019

गजल

कविता


काश मेरी बगिया में भी चाँद की खेती होती
दूसरों के आँगन से कुछ शीतल बयार आती ||
अफ़सोस नहीं होता धरती पर जन्म लेने का
अगले जन्म की ख्वाईश से हलचल न होती ||

©********डॉ. मनजीत सिंह*********

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