अँधेरा मिटने लगा....
साल की बेहतरीन उपलब्धि
अँधेरे को मिटाती रही-
बच्चे की किलकारी
पास बुलाती रही-
अस्पताल की चहारदीवारी
दूर भगाती रही-
निश्चित सफलता की घंटी
सुबहोशाम बजाती रही-
नूतन जीवन से दुखिया
धीरे-धीरे जाती रही-
नवल भारत की किरणें
पास बुलाती रही ।
©डॉ. मनजीत सिंह
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