कुछ सुधार के बाद पुनःप्रस्तुत
पहली बार
पहली बार
खड़ी फसल की
लहलहाती बालियों से
साँय-साँय निकलती आवाज
चिलचिलाती धूप में
सहज शीत-लक बनती |
पान की गिलौरी..
मुँह में मिठास घोलकर
कभी-कभी
बचपन की याद
दिलाती रही--
पहली बार
गेहूँ कटते समय
पनहेरी की गठरी देखकर
लार टपकने लगा |
कत्था=कसैली की कड़वाहट भी
नयी उमंगों से कुलांचे भरकर
अनुभव की आधारशिला
बनाती रही |
पहली बार
मेड़ पर चलते हुए एहसास हुआ
बचपन में असीम आनन्द का
हरे-भरे निराले खेत देख-देख ।
पहली बार
ताल की काली माटी में
सोना के भस्म का दीदार कर
मन आह्लादित हुआ ।
हाँ-हाँ जीवन के
इस कृशकाय काया में
प्रवेश कर गयी उस धरा की
कभी न सधने वाली सोंधी महक...
पहली बार-पहली बार
क्रमशः
डॉ. मनजीत सिंह
27/11/13
27/11/21
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