गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012

  1. दम तोड़ते रिश्ते

    जगजाहिर है यह रिश्ता
    कभी हारता नहीं, न मरता है,
    दूसरों को बर्दास्त करता नहीं
    अपनों को एहसास कराता नहीं,
    क्योंकि
    जब कांटे बिछ जाय रास्ते में
    फूलों को कुचलकर, नया राह
    बनाकर आगे बढ़ने में घबराता नहीं|
    मंजिल तो रहती है बहुत पास में
    परन्तु
    दूर-दूर तक लक्ष्य मिलता नहीं
    रिश्ता बनाकर बिगाडना
    आदत सी बन गयी है नयी पीढ़ी की|
    यदि निभा नहीं सकते है इसे तो
    बनाकर धज्जियां उड़ाने में क्या रखा ?
    कम से कम सभ्यता के नाम से ना सही
    इंसानियत के नाम से तो सोंचे |
    बनाकर तोड़ने की जगह
    बने को जोडने की सोंचे
    यही तस्वीर लायेगी जीवन में
    बांधेगी ऐसी गाँठ
    बरसायेगी वर्षा फूलों की
    रिश्तों को जोड़ने के बहाने ||

    डा. मनजीत सिंह

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