- दम तोड़ते रिश्ते
जगजाहिर है यह रिश्ता
कभी हारता नहीं, न मरता है,
दूसरों को बर्दास्त करता नहीं
अपनों को एहसास कराता नहीं,
क्योंकि
जब कांटे बिछ जाय रास्ते में
फूलों को कुचलकर, नया राह
बनाकर आगे बढ़ने में घबराता नहीं|मंजिल तो रहती है बहुत पास में
परन्तु
दूर-दूर तक लक्ष्य मिलता नहीं
रिश्ता बनाकर बिगाडना
आदत सी बन गयी है नयी पीढ़ी की|
यदि निभा नहीं सकते है इसे तो
बनाकर धज्जियां उड़ाने में क्या रखा ?
कम से कम सभ्यता के नाम से ना सही
इंसानियत के नाम से तो सोंचे |
बनाकर तोड़ने की जगह
बने को जोडने की सोंचे
यही तस्वीर लायेगी जीवन में
बांधेगी ऐसी गाँठ
बरसायेगी वर्षा फूलों की
रिश्तों को जोड़ने के बहाने ||
डा. मनजीत सिंह
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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2012
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